क्या करूँ , क्या न करूँ ? यही सोच कर रह जाता हूँ . लेकिन मन बार बार यही कहता है , कुछ कर , कुछ कर .
सोचता हूँ , अब नहीं , तो कब ?
शरुआत तो कर !
Saturday, December 12, 2015
Flower - Importance
फूल - पुष्प (Flower) बहुत कुछ बोलती है , जिनको समझ आ जाता है , वो महसूस कर लेते हैं, जिनको नहीं समझ आता है वो उसको एक सिर्फ फूल नजर आता है।
सूक्ष्म तत्व को हर कोई नहीं समझ सकता है।
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